अब मुख्तार की बारी : उस IPS की कहानी, जिसने ठोंकी थी माफिया मुख्तार अंसारी के साम्राज्य पर पहली कील

IPS Anurag Arya: 2019 से 2020 में तैनाती के दौरान आईपीएस अनुराग आर्य ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी। पूर्ववर्ती सरकारों में संरक्षण प्राप्त अंसारी के बाद 2013 के बाद पहली बार 2020 में मामला दर्ज किया गया था।

 

प्रयागराज के माफिया अतीक अंसारी के बाद अब उत्तर प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े डॉन मुख्तार अंसारी की बारी है। आज गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट फैसला सुनाने वाली है। इस केस में मुख्तार अंसारी व उनका सांसद भाई अफजाल अंसारी आरोपी हैं। दोनों के खिलाफ 2007 में गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

मुख्तार अंसारी के खिलाफ जैसे-जैसे फैसले की घड़ी नजदीक आती जा रही है। वैसे-वैसे आईपीएस (IPS) अधिकारी अनुराग आर्य की चर्चा भी बढ़ती जा रही है। दरअसल, तेजतर्रार आईपीएस अनुराग आर्य वही अधिकारी हैं, जिन्होंने मुख्तार अंसारी के आपराधिक साम्राज्य के खिलाफ पहली कील ठोंकी थी। ऐसे में उनकी चर्चा होना लाजमी है। आइए जानत हैं कौन हैं आईपीएस अनुराग आर्य और मुख्तार के खिलाफ उन्होंने क्या कार्रवाई की थी।

 

2013 बैच के IPS अधिकारी हैं अनुराग आर्य

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के छपरौली के रहने वाले अनुराग आर्य 2013 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उनकी शरुआती पढ़ाई गांव के सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में ही हुई। 2013 में वे यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में बैठे। उनका सेलेक्शन आबीआई में हो गया, जिसके बाद उन्होंने नौकरी ज्वाइन कर ली। हालांकि, करीब आठ महीने बाद वह आईपीएस बन गए और आरबीआई की नौकरी छोड़कर प्रशासनिक सेवा में लग गए।

मुख्तार के साम्राज्य पर ठोंकी थी पहली कील

आईपीएस अनुराग आर्य 2019 से 2020 तक मऊ में तैनात रहे और यहीं पर उन्होंने मुख्तार अंसारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। उन्होंने मुख्तारी अंसारी के अवैध बूचड़खानों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 26 लोगों के खिलाफ गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की। इसी दौरान उन्होंने मुख्तार के करीबी अनुज कनौजिया का घर बुलडोजर से ढहा दिया, जिसके बाद आईपीएस अनुराग आर्य चर्चा में आ गए। 2020 में मुख्तार के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। 2013 के बाद यह पहली बार था जब

माफिया मुख्तार के खिलाफ कोई मामला दर्ज किया गया था। इसके साथ ही आईपीएस अनुराग आर्य ने मुख्तार व उसके भाई के आर्थिक साम्राज्य पर भी कड़ा प्रहार किया और उसकी करोड़ों की अवैध संपत्ति को जब्त किया। इससे अंसारी बंधुओं की कमर टूट गई।

 

वो मामला, जिस पर आज आना है फैसला

मुख्तार अंसारी व उसके भाई के खिलाफ 2007 में गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा दर्ज हुआ था। इस केस में 2005 में हुए कृष्णानंद राय मर्डस केस और नंद किशेर रूंगटा अपहरण मामले को आधार बनाया गया था। इस केस में अदालत सुनवाई पूरी कर चुकी है और आज अदालत फैसला सुनाएगी। बता दें, दोनों अंसारी बंधु 2019 में कष्णानंद राय हत्याकांड में बरी हो चुकी हैं। हालांकि, गैंगस्टर एक्ट में उनके खिलाफ फैसला आना है।